Sunday, July 19, 2009

एक लेखक के लिए यह बहुत बड़ी जीत है।

बहुत दिनों बाद इस ब्लाग पर आया। अचानक याद आ गई। पिछले कुछ दिन कुछ ऐसे गुजरे जो किसी भी लेखक के जीवन में दुःस्वप्न सरीखे होंगे। लेखकीय जीवन के लिए बनाए आदर्श चंद मिनटों में धूल धूसरित हो गए। बड़े बड़े की छोटी छोटी हरकतों से मन आहत हुआ था।

मुझे एक बहुत ही जरूरी लेख लिखना है। यह लेख बहुतों को नाराज कर सकता है। मैं इसे जरूर लिखुँगा लेकिन लिखने की उर्जा पाने के लिए मेरा मन कहीं आत्मीय मनोंरंजन खोज रहा था। इसी तलाश के बीच इस ब्लाग की याद आई।आज इस ब्लाग को खोला तो आश्चर्यचकित हुए बिना न रह सका। फालोवर लिस्ट में एक नाम दिख रहा था। वह नाम है अरविन्द जी का।

अरविन्द जी मैंने आप का नाम जब यहाँ देखा तो एक अजीब सी सुखद सी अनुभूति मेरे पूरे शरीर में दौड़ गई।मुझे किसी पुराने लेखक की कही वह बात याद आ गई किहर लेखक का कम से कम एक पाठक जरूर होता है। और उसे ज्यादा नहीं तो उसी एक पाठक के लिए जरूर लिखना चाहिए।

अरविन्द जी इसके इतर जो लिखता हूँ उसके कुछ पाठक जरूर होंगे। लेकिन मैं यहाँ अपना सबसे आत्मीय और सच्चा पक्ष रखता हूँ। बिना किसी लाग लपेट के, बिना किसी भाषाई कौशल के प्रयोग के भी गर एक पाठक मिल सकता है तो एक लेखक के लिए यह बहुत बड़ी जीत है।

आप को मुझमें यह विश्वास जगाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।