Monday, June 8, 2009
मैं कौन हूँ
आप के मन में एक कौतूहल उठा होगा कि मैं कौन हूँ। बहुत संक्षेप में परिचय देना हो तो कहुँगा कि मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जिसकी परिस्थितियों और प्रवृत्तियों ने उसे एक सोचने-समझने और महसूस करने वाला इंसान बना दिया। मैं अंदर से हमेशा उद्धिग्न रहता हूँ, अशांत रहता हूँ। कभी कभी तो लगता है कि बेचैन रहना ही मेरी नियति है। मैं चाहता हूँ कि कोई मुझे खूब प्यार करे। मैं अंदर-बाहर शांति से भर जाना चाहता हूँ। लेकिन ऐसा कौन नहीं चाहता ?! मैं बहुत देर तक भावुक नहीं बना रह सकता। मेरे तर्क ऐसा होने नहीं देते। बुरा यह कि मेरी भावनाएं इतने तेज गति से चलती हैं कि जब तक तलक तर्क उन्हें पकड़े वो बहुत दूर निकल चुकी होती हैं। मैं अपने तर्क और भावनाओं के बीच फंसा हुआ हूँ।
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