कभी यूँ भी तो हो
Tuesday, June 9, 2009
वर्तमान भी होगा लेकिन एक टेक की तरह
इसमें
मेरा वर्तमान
भी होगा लेकिन एक टेक की तरह।
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विदेह
हम दूसरों को जान कर खुद को समझना चाहते है। दूसरों को समझकर खुद को समझाना चाहते हैं।
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“हाँ इस बंदे न अच्छा काम किया है“
कठिन कार्य करना ही विशिष्ट कार्य करना है
हमारे अंदर की दुनिया अतार्किक होती है
हर वाक्य मेरे व्यक्तित्व में लिपटा होगा
वर्तमान भी होगा लेकिन एक टेक की तरह
मन कुछ उलझा सा है, कि शुरू कहाँ से करूँ
मैं कौन हूँ
मैं अपनी पहचान से तंग हूँ
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